Himachali Dham : धाम स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी एक सात्विक और पारंपरिक हिमाचली थाली है| हिमाचली धाम को किसी विशेष अवसर या त्यौहारों में बनाया जाता है। इसे हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में जाना जाता है। इस हिमाचली धाम को स्पेशल ब्राह्मण रसोइयों द्वारा तैयार किया जाता है, जिन्हें बोटिस के नाम से जाना जाता है। इस स्पेशल थाली को राज्य के संस्कृति और रीति-रिवाज को ध्यान में रखकर बनाए गए दिशा निर्देशों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।
Himachali Dham (Pahadi dhaam) के पारंपरिक व्यंजन
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि ये हिमाचली धाम क्यों खास है और इसमें किन चीजों को परोसा जाता है। हिमाचल प्रदेश में परोसी जाने वाली एक खास थाली जिसमें कई तरह के पहाड़ी और पारंपरिक व्यंजनों को परोसा जाता है। आइये जानते हैं Himachal dham kaise banaye? इसमें दाल, चावल, राजमा मद्रा, सेपी बड़ी, कढ़ी और दूसरे व्यंजनों को साल के बड़े पत्तों में परोसा जाता है। दाल, चावल और सब्जी के अलावा इसमें काले चने का खट्टा, बूर की कढ़ी और गुड़ जैसे दूसरी चीजों को शामिल किया जाता है।
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Himachali Dham kaise banate hain ?
हिमाचली धाम स्पेशल थाली में शाकाहारी व्यंजन के अलावा मांसाहारी व्यंजनों के भी शामिल किया जाता है। लेकिन इसकी परंपरा के अनुसार यह एक शाकाहारी थाली है, जिसे अक्सर बिना लहसुन और प्याज के बनाया जाता है। इसके अलावा कई जगह पर हिमाचली धाम में केवल दाल और दूध का इस्तेमाल कर बनाया जाता है, इसमें किसी तरह के सब्जी को शामिल नहीं किया जाता है।
Himachali Dham क्यों बनाते हैं ?
सभी जगहों की अपनी ही अलग खान पान और लोकप्रिय व्यंजन होते हैं, वैसे ही हिमाचली धाम हिमाचल प्रदेश की अद्भुत संस्कृति और खानपान को दर्शाता है। इस थाली में परोसे जाने वाले भोजन को विशेष तरह से तैयार किया जाता है। पारंपरिक मसालों और स्थानीय सामग्रियों का भरपूर प्रयोग करके इसे पकाया जाता है।
Himachali Dham ka taste kaisa hota hai ? यह पारंपरिक भोजन बेहद ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं, जिसके सेवन से खाने वाले व्यक्ति को एक अलग ही संतुष्टि और तृप्ति का एहसास होता है।स्थानीय लोगों के अनुसार यह कहा जाता है कि पहले इसे मंदिरों में भगवान को प्रसाद चढ़ाने के लिए बनाते थे, लेकिन अब इसे शादी, विशेष समारोह और त्योहारों के लिए भी बनाया जाता है। इसे सबको लाइन में ज़मीन पर बैठाकर परोसा जाता है ।
Himachali Dham’s History (इतिहास) Himachali Dham ka ithas kya hai
चंबा के राजा जयस्तंभ ने इसे शुरू किया था। जब चंबा के राजा एक बार कश्मीर भ्रमण के लिए गए थे और वहां उनका पारंपरिक थाली से स्वागत किया गया । जिसके बाद में उन्होंने चंबा लौटकर ऐसी ही भव्य थाली बनाने के लिए कहा और साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसे शुद्ध शाकाहारी ही बनाया जाए, इसलिए इसे बनाने के लिए ब्राह्मणों को ये कार्यभार दिया गया।
वैसे उस समय चंबा अपने मशहूर मसालों, राजमा और दूध के लिए बहुत प्रसिद्ध था जिसके कारण उन्हीं सामग्रियों का प्रयोग करके जब इसे बनाया गया तो राजा इसका स्वाद चखकर बहुत प्रसन्न हुए। इसके बाद इसे धाम का नाम दिया गया और फिर इसे पूरे हिमाचल प्रदेश में बनाया जाने लगा ।
Himachali Dham खाने के साथ ही घर ले जाने का भी है रिवाज
हिमाचली धाम को खाने के साथ साथ ही पैकेजिंग में घर ले जाने का भी रिवाज होता है । ये इसलिए होता है अगर किसी परिवार का कोई सदस्य किसी कारणवश धाम फंक्शन में ना आ पाया हो । नीचे फोटो में भी धाम को पैक करते हुए देखा जा सकता है ।
Himachali Dham: धाम को पैक करते हुए
Himachali Dham Nearby (Nearby Dham) जानने के लिए आप सर्च इंजन Google पर सर्च कर सकते हैं। यह हिमाचल के साथ साथ पड़ोसी पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी बहुत प्रसिद्ध है। वहाँ पर इसे पहाड़ी धाम या Uttrakhand Dham के नाम से जाना जाता है। यदि आपको इससे जुड़ी और जानकारी के बारे में पता है, तो हमें कमेंट कर ज़रूर बताएं और इस लेख को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें।
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