हम अपने ब्लॉगिंग वेबसाइट हिमाचल ब्लोग्स के ज़रिए पहाड़ों में आगज़नी (Forest Fire) की घटना पर बार बार लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं । आज हम आपको बताएँगे कि आख़िरकार क्यों लगती है पहाड़ों में आग ? और हिमाचल में आग से कैसे बचाव करें ? पहले इसकी वजह से तबाह हुए घर की वीडियो देखिये –
Forest Fire देखें : हिमाचल में आग में तबाह हुआ 1 करोड़ का मकान
इसका भयानक मंज़र आज धर्मपुर मे देखने को मिला जहाँ कमल के ज़िंदगी भर की मेहनत की कमाई से बनाया हुआ सपनों का घर पाल भर में ख़ाक हो गया ।
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पहाड़ों में आग क्यूँ लगती है ?
Himachal me aag kyu lagti hai? चलिए आज हम आपको बताते हैं कि Pahado me aag kyu lagti hai ? जून के महीने में जब सूर्यदेव अपना रूद्र रूप दिखाते हैं तो गर्मी में चीड़ के पेड़ ( Pine Tree) की पत्तियां मुरझा जाती हैं और इनमे से क़ुछ चीड़ की पत्तियाँ सुखकर नीचे गिर जाती हैं। अब ज्यादातर लोगों को नहीं पता होगा कि पहाड़ों में चीड़ के पेड़ के तने से गौंद की तरह एक तरल पदार्थ निकलता है जिसे लेसी कहते हैं।
यह भी ज्यादातर गर्मियों में ही निकलता है। जो आग के संपर्क में आते ही आग को बहुत ज्यादा फैला देता है। अब सवाल ये है कि पहाड़ों में आग लगाता कौन है Himachal me pahado me aag kaun lagata hai ?
इसके दो कारण हैं।
1 . इंसान
2. प्रकृति
1 . कैसे इंसान की वजह से लगती है पहाड़ों में आग
मई जून में हर साल किसान खेत में खरपतवार को जलाते हैं, फिर अपने घर चले जाते हैं। उस टाइम उनके खेतों में नमीं भी बहुत काम होती है। कई बार ये आग जंगल के पास पहुंच जाती है और फिर धीरे धीरे पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है। कई बार पहाड़ों के जंगलों में बीड़ी या सिरगेट पीकर बिना बुझाये फेंकने से भी आग लग जाती है और बाद में विकराल रूप धारण लेती है। कई बार शरारती तत्व जानबूझकर जंगलों में आग लगा देते हैं, और एक जंगल से दूसरे जंगल में फ़ैल जाती है। Famous Social Media Influencer Shruti Sharma भी इसी मुद्दे पर सावधानी बरतने की अपील कर चुकी है।
1 . प्रकृति भी खुद से लगाती है पहाड़ों में आग
जब तेज हवाएं चलती हैं तो पेड़ आपस में टकराने लगते हैं इससे भी खुद-ब-खुद आग सुलग जाती है। और पेड़ो से निकलने वाली लेसी इसमें घी का काम करती हैं। कई बार पहाड़ों में लैंड स्लाइडिंग के कारण पत्थर आपस में टकराने लगते हैं जो भी forest fire (पहाड़ो में आग) का कारण (pahado me aag ka karan) बनते हैं।
Why there are frequent wildfires in Himachal Pradesh? वीडियो देखें –
Forest fire ke Upay : पहाड़ों को आग से कैसे बचाये ?
आग से पहाड़ों को बचाने के लिए एक लोकल स्तर पर टीम तैनात की जानी चाहिए जिनका काम हर साल मई जून में खेतों और जंगलों में छोटे छोटे जोन में खड्डे खोदना होगा जिसे हम लाइन कटिंग के नाम से जानते हैं। इसमें 3 मीटर तक की चौड़ाई और 2 फ़ीट की गहराई में खेतों के चारों और या फिर जंगलों में जगह जगह पेड़ों के समूह के चारों और लाइन कटाई की जाती हैं। यह Pahado me aag se bachav ka upay है।
ऐसा करने से जंगलों को कई जोन में विभाजित किया जा सकता है और हर जोन में अलग अलग टीमों को इसकी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इससे आग एक स्थान से दूसरी जगह नहीं फैलेगी और पर्यावरण को भी कम नुक्सान होगा।
इसी लाइन कटाई तकनीक में हम गड्डा खोदने की बजाय गर्मी के महीने से पहले ही वन विभाग की निगरानी में जानबूझकर आग लगाकर एक राख का एक गैप भी बनाया जा सकता है। ये तकनीक आमतौर पर विदेशों में इस्तेमाल की जाती है। reference – नीचे वीडियो देखें।
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हम Himachal Blogs (हिमाचल ब्लोग्स) के माध्यम से ये सुझाव हिमाचल और उत्तराखंड के फारेस्ट विभाग और वन मंत्री को देना चाहेंगे ताकि हम आग से देवभूमि को सुरक्षित रख सकें। इसके अलावा आपके पास भी कोई सुझाव है तो आप नीचे कमेंट करके अपने विचार रख सकते हैं।