slate roof

Slate Roof हिमाचली छत्तों की स्लेट कैसे बनायी जाती हैं ? जाने Slate House का इतिहास

Spread the love
What is slate roof ? स्लेट की छत क्या होती है ?

Slate Roof : स्लेट एक प्राकृतिक पत्थर है जिसे पतली शीट में आसानी से बदला जा सकता है। यह ठंढ से बचाने में कारगर है और टूटने के लिए स्टैकेबल और प्रतिरोधी भी है और इसमें पानी का अवशोषण बहुत ही कम होता है। यह हिमाचल प्रदेश में घरों में छत के लिए सदियों से इस्तेमाल होती आ रही है । आजकल कंक्रीट के जमाने में बहुत ही कम लोग इसका इस्तेमाल करते हैं ।

slate roof
a photo of Slate Roof in Mountains (Himachal Pradesh)
Slate roof Uses ? स्लेट की छत कहाँ इस्तेमाल होती है ?

यह Slate Roof ( स्लेट की छत  बनाने में )फर्श टाइल, दीवार पर चढ़ने वाली टाइल, बगीचे की सजावट आदि के रूप में भी खूब प्रयोग होती है। इसके अलावा इनका इस्तेमाल पक्की सड़कें, फर्श और बाड़ के लिए भी किया जाता है।

अगर हम हिमाचल की बात करें तो हिमाचल की संस्कृति में स्लेट की छतोें  का बहुत योगदान है। 

Making of Slates ? स्लेट कैसे बनाई जाती है ?

आप नीचे दिए गए लिंक में देख सकते हैं कि स्लेट कैसे बनायी जाती है ।

slate roof
Slates Stock in Himachal Pradesh
History of slate roof (himachal slate house) in himachal ? हिमाचल में स्लेट के घरों का इतिहास ?

Himachal Pradesh me slate ki chhat ka ithihas : हिमाचल प्रदेश में स्लेट की छतों का इतिहास:

हिमाचल प्रदेश में स्लेट का उपयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है, विशेषकर कांगड़ा और चंबा जिलों में। स्लेट की छतों का उपयोग कई ऐतिहासिक इमार स्किस्ट तों में किया गया है, जिसमें प्राशर मंदिर, सीता राम मंदिर, चामुंडा माता मंदिर, और तारा देवी मंदिर शामिल हैं।

 
 
 
 
 
View this post on Instagram
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by 𝗕𝗲𝗮𝘂𝘁𝗶𝗳𝘂𝗹𝗹 𝗛𝗶𝗺𝗮𝗰𝗵𝗮𝗹 (@beautifull.himachal)

Roofing Slate Mines (Outcrops) in Himachal Pradesh ? हिमाचल में कहाँ पर हैं रूफिंग स्लेट की चट्टानें  ? 

“रूफिंग स्लेट” में स्किस्ट, स्लेट, फिलाइट और शेल ( schists, slates, phyllites and shales) जैसी चट्टानें शामिल हैं जिन्हें काटकर पतली चादरों में बदला जाता है। जैसे कि नीचे फोटो में दिखाया गया है।  हिमाचल प्रदेश के चंबा, मंडी, कांगड़ा और कुल्लू जिलों में बड़े Outcrops (बड़ी स्लेट की खदानें ) पूरे भारत में मशहूर हैं ।सोलन, शिमला,सिरमौर और किन्नौर जिलों में भी छोटी खदानें (slate mines )पायी जाती हैं।  

Slates Raw Material ? स्लेट बनाने के लिए स्लेट पत्थर कहाँ से लाते हैं ?

स्लेट गाँव के नाम से मशहूर खनियारा एक छोटा सा पहाड़ी गांव है जो धर्मशाला शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है, जो धौलाधार पर्वत की तलहटी में स्थित है जिसका नाम स्लेट खदानों के नाम पर पड़ा है । वैसे तो धर्मशाला में बर्फ से ढके धौलाधार पहाड़ों की तस्वीर बहुत  सुंदर लगती हैं। लेकिन थोड़ा करीब जाने पर पहाड़ की ढलानों पर बदसूरत भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

ये धब्बे बड़े पैमाने पर स्लेट के खनन के कारण हैं। इस खनन ने जंगल के बड़े हिस्सों को भी ख़त्म कर दिया है।

वैसे तो बहुत सरे आसपास के सभी गावों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है पर खनियारा गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 

अब मानसून में इस गांव के नाले से गाद और स्लेट के मलबे का आना एक आम बात हो गयी है , कई बार कुछ घरों में भी पानी चला जाता है। 

slate roof
A old man in Himachal making a Slate Sheet

अधिकांश स्लेट खदानें खनियारा, भागसुनाग, नारवाना और योल में हैं जो धर्मशाला से 7  से 16 किलोमीटर की दूरी पर हैं। यहाँ हर साल लगभग ₹3 करोड़ मूल्य की स्लेट निकाली जाती है, जिससे लगभग ₹6 करोड़ का कारोबार होता है।

खनियारा और भागसुनाग की खदानें पंचायतों के अधीन आती हैं।  इन गावों को 1980 में कांगड़ा के तत्कालीन आयुक्त के द्वारा 625 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी।

अभी भी यहाँ खनन क्षेत्र की सीमाएं स्पष्ट नहीं हैं जिसके कारण जंगलों में भी कुछ अवैध गड्ढे उभर आए हैं। उस समय आयुक्त ने पंचायत भूमि और वन भूमि के बीच सीमा निर्धारित नहीं की थी जिसके कारण आज आज भी इस पर विवाद है और ग्रामीण भी इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं खनन के बहाने वन क्षेत्र में अंदर तक घुस गए हैं। प्रशासन भी उस 625 हेक्टेयर भूमि को आज तक माप नहीं पाया है। किसी को भी ये नहीं पता है कि ये जमीन कहाँ है। 

अवैध गड्ढों में खनन स्थानीय ठेकेदारों करवाते हैं जो गैरकानूनी है। केवल खनियारा की खदानों में लगभग 1,000 गड्ढे हैं, जिनमें से केवल 500 के करीब पंचायत द्वारा लीज पर दिए जाए हैं। यहाँ खनन के लिए डायनामाइट का उपयोग होता है, जो खदान सुरक्षा अधिनियम का पूर्ण उल्लंघन है। गाँववालों के अनुसार  पिछले दशक में खनियारा की खदानों में लगभग 24 लोगों की मौत हो चुकी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यहाँ की पंचायतें अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खनन के लिए दी गई रॉयल्टी से अर्जित करती हैं। खनियारा पंचायत लगभग ₹10 लाख की रॉयल्टी हर साल ले लेती हैं। 

सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।  खनन के नाम पर जंगलों को उजाड़ा जा रहा है। अवैध खनन करने वालों की पहचान करना जरुरी है और उनपर क़ानूनी कारवाही होनी चाहिए तभी जाकर लोगों में भय बनेगा और हम अपने वन क्षेत्र को बचा पाएंगे। हिमाचल Forest विभाग को भी अपनी लड़ाई मजबूती से लड़नी चाहिए। 

Life of  Slate Roofs ? कितनी उम्र होती है स्लेट की ? 

जैसा कि  हमने बताया कि slate ki chato ka istemal पुराने समय से होता आ रहा है।  आज भी कई ऐतिहासिक इमारतें ज्यो की त्यों हालत में वैसी की वैसी हैं।  अगर सही तरीके से इनको लगाया जाये और देखभाल की जाये तो स्लेट की छतें दशकों तक टिक सकती हैं।

slate roof
A mechanic fixing a Slate Roof in Mountains
RESEARCH CASE STUDY ON SLATE MINING ? कितनी उम्र होती है स्लेट की ? 

आपकी जानकारी के लिए बता दें  कि-

Dr. JAGDISH CHAND, Assistant Professor, Department of Geography, Govt. PG College, Nahan
Dr. PHOOL KUMAR, Assistant Professor, Department of Geography, Govt. PG College for Women, Rohtak
PROMILA DEVI, Assistant Professor, Department of Geography, Govt. PG College, Chamba 

तीनों  मिलकर  Changing Structure of Mining in Himachal Pradesh: A Case Study of Khanyara Slate Mines के नाम से 2017 में रिसर्च लेख भी प्रकाशित करवा चुके हैं ।  जिसे आप निचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। 

लिंक – EUROPEAN ACADEMIC RESEARCHVol. V, Issue 8/ November 2017

दूसरा रिसर्च लेख Nesar Ahmead,  द्वारा  Khanayara Stone Quarries: A Case of Reversing the Community’s Rights over Local Resources, Himachal Pradesh, India नाम से 2007 में प्रकाशित हो चूका है।

लिंक –RESEARCH GATE PUBLICATION 

आप हमारी वेबसाइट (हिमाचल ब्लॉग्स ) पर ट्रेवल ब्लॉग पेज पर जाकर और भी हिमाचल के ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *