Triund Trek 2025

Triund Trek 2025 मेरी स्कूल की ट्रिप – वो यादगार सफर

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Triund Trek 2025 शुरुआत – ट्रिप की तैयारी और उत्साह

Table of Contents


Triund Trek 2025 यात्रा (त्रिउंड ट्रेक) :  हर साल गर्मियों की छुट्टियों से पहले हमारे स्कूल में एक नई ट्रिप का ऐलान होता है। इस बार हमारे स्पोर्ट्स टीचर शर्मा सर ने बताया कि हम हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत Triund trek पर जाने वाले हैं। 11वीं और 12वीं के बच्चे खूब उत्साहित थे। Triund trek के बारे में हमने कई बार सुना था – ऊपर बर्फ से ढके हुए धौलाधार पर्वत, हरियाली से घिरे रास्ते, और एकदम साफ़ हवा, जो फेफड़ों को ताजगी देती है।

घर जाकर मम्मी थोड़ी फिक्रमंद हुईं, कहने लगीं, “ठंडी जगह है, अच्छे कपड़े लेकर जाना, और संभल के चलना।” तभी मैंने हिमचाल ब्लोग्स की फेमस वेबसाइट हिमाचल कंपास के मौसम के पेज पर जाकर मौसम देखा और मम्मी को बताया की मौसम में बारिश का कोई भी खतरा नहीं हैं। 

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himachalcompass.com पर धर्मशाला का मौसम

हमने अपने बैग में जरूरी सामान रखा – वाटर बॉटल, जैकेट, टोपी, ग्लव्स, ट्रेकिंग शूज और कैमरा। तीन दिन बाद सुबह-सुबह दिल्ली से बस पकड़ी गई। सफर में गाने, हंसी-ठिठोली और नई दोस्ती का माहौल था।


धर्मशाला में पहला दिन – होटल में ठहराव


सुबह जब पहाड़ दिखने लगे, तो सबका मन रोमांच से भर गया। धर्मशाला में होटल में ठहरकर हमने आसपास के बाजार और मठ का दौरा किया। शाम को बर्फ से ढकी चोटियां दिखाई दीं, जो अगले दिन हमारे लिए लक्ष्य थीं। वातावरण में पहाड़ों की ठंडी हवा और देवदार के पेड़ जैसे मन को पुनर्जीवित कर रहे थे। फिर होटल में खाने के दौरान रामू काका ने हमें बताया कि  triund का नाम triund कैसे पड़ा।

उन्होंने बताया “त्रिउंड” नाम दो पहाड़ी शब्दों से मिलकर बना है: “त्रि,” जिसका अर्थ है तीन, और “उंड,” जिसका अर्थ है पर्वत या चोटियाँ, जिसका अर्थ है “तीन चोटियाँ” या “तीन पर्वत”। यह नाम त्रिउंड पहाड़ी की चोटी से दिखाई देने वाले तीन प्रमुख, अक्सर बर्फ से ढके पहाड़ों के दृश्य से लिया गया है। Triund sea level height – यह समुन्दर तल से 2,828 मीटर (9,278 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।

दूसरा दिन – Triund ट्रेक की शुरुआत और पहला पड़ाव


सुबह सात बजे हम गल्लू देवी मंदिर के पास आए, जो Triund trek 2025  की शुरुआत है। शर्मा सर ने ध्यान से समझाया कि यह कोई पिकनिक नहीं, असली पैदल चलने वाला ट्रेक है। हर कोई पानी की बोतल साथ रखे और ग्रुप में रहे। शुरुआती रास्ता चौड़ा और आसान था, देवदार के पेड़ों के बीच से गुजरते हुए। हवा इतनी ताजी थी कि हर सांस में नया उत्साह भर रही थी। हम तीन दोस्त – मैं, रोहन, और कृतिका – फोटो लेते, बातें करते आगे बढ़ रहे थे।

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Triund trek me पहला खतरा – फिसलन और बचाव


रास्ते में एक जगह मिट्टी का रास्ता था जो बारिश ने फिसलन भरा कर दिया था। सभी सावधानी से चल रहे थे, लेकिन हमारी सहपाठी रिया का पैर फिसल गया। वह नीचे गहरी ढलान की ओर गिरने लगी। शर्मा सर ने तुरंत उसका बैग पकड़कर उसे बचा लिया। रिया के चेहरे पर डर साफ था, और उसका पैरा थोड़ा मोच गया था, मगर वह सुरक्षित थी। इस घटना ने हम सभी को सिखाया कि पहाड़ों पर हर कदम सोच-समझ कर उठाना जरूरी है।


Triund Trek 2025 आगे का रास्ता और मस्ती


धीरे-धीरे रास्ता पथरीला होने लगा, लेकिन दृश्य मन मोह लेने वाले थे। पहाड़ों की ऊंचाई पर चढ़ते हुए हम हवा में ताज़गी और ठंडक महसूस कर रहे थे। बीच-बीच में छोटी दुकानों से मैगी, चाय, और नींबू पानी लेते हम ताजगी पाते। फिर Triund Trek 2025 में रोहन बोला, “ऐसे बैकग्राउंड और नज़ारे दुसरे कहीं नहीं मिलेंगे।” कृति हंसते हुए कहती, “सही कहा, इंस्टाग्राम पर तो धूम मचा देंगे।”


रोमांच का दूसरा पड़ाव – जंगली बंदर का सामना


जब हम शिवा कैफ़े पर चाय पी रहे थे, तब अचानक दुकानदार ने चेतावनी दी, “बन्दर आ रहा है!” हम समझते थे कि कोई छोटा बंदर होगा, लेकिन कुछ ही देर में एक बड़ा लंगूर तेज़ी से हमारी तरफ दौड़ा, बिस्कुट के पैकेट की ओर बढ़ा। शर्मा सर और कैफ़े वाले ने मिलकर उसे भगा दिया। बच्चों में डर था, लेकिन यह अनुभव हमारे लिए एक बड़ा सबक था कि जंगल और पहाड़ों में जंगली जानवरों से दूरी रखनी चाहिए।

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ट्रेक के रस्ते में मिला प्यारा सा डॉग

थोड़ी आगे जाकर देखा कि एक काले रंग का कुत्ता मोड़ पर बड़ी देर से बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था।  मानो कि जैसे वह अपनी दोस्त शिखा का ही इंतज़ार कर रहा हो। शिखा ने तुरंत समझ लिया कि वह भूखा है और उसको खाना चाहिए। शिखा ने पहले से ही कुत्तों के लिए कुछ मटर अपने बैग में रख ली थी। उसने बिना देरी किये अपने बैग से मटर निकाले और उस बेज़ुबान को दे दिए। 

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उसको देखकर मेरी भी साड़ी थकान दूर हो गयी थी।  मैंने भी सोच लिया था अगली बार मैं भी इन प्यारे जानवरों के लिए कुछ खाना अपने बैग में रखूँगा। अब शिखा उसे नाम भी दे चुकी थी , और जैकी जैकी कहकर उसे सेहला रही थी। अब उसने पुरे रस्ते शिखा का साथ नहीं छोड़ा और जहा भी शिखा रूकती वो भी रस्ते में वही बैठ जाता। सच में कुत्ते कितने वफादार होते हैं।  

आखिरी चढ़ाई – मेहनत और धैर्य


Shiva caffe  के बाद रास्ता और भी पथरीला और खतरनाक हो गया। एक जगह पत्थर इतने बड़े थे कि हमें हाथों की मदद से चढ़ना पड़ा। पसीना बह रहा था, और ठंडी हवा में धड़कन तेज हो रही थी, लेकिन नजरें Triund Trek 2025  धौलाधार की बर्फीली चोटियों पर थीं जो हमें हिम्मत दे रही थीं।


Triund Trek पर दिखी जंगली लोमड़ी की झलक


एक मोड़ पर ट्रेक के कुछ साथी लोमड़ी जैसी जंगली जानवर की बात करने लगे, जो हिमालय की विशेष प्रजाति थी। हम सब करीब आए और शोर मचाकर धीरे-धीरे आगे बढ़े। झाड़ियों के बीच उसकी चमकती आंखें नजर आईं, लेकिन वह जल्द ही छुप गई। यह क्षण हमारे लिए किसी फिल्म के सीन से कम नहीं था – प्रकृति की शक्ति और रहस्यमयता का एहसास।

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triund trek 2025 school trip के दौरान दिखी wild fox


Triund Top – ख्वाब जैसा नजारा


करीब पांच घंटे की चढ़ाई के बाद हम पहुँचे Triund trek के सबसे ऊंचे टॉप पर। चारों तरफ बर्फ से ढकी चोटियां, नीचे कांगड़ा घाटी की हरियाली, और आसमान में बादलों का खेल ऐसा था मानो कोई जादू चल रहा हो। हवा तेज थी, ठंड बढ़ रही थी, लेकिन सभी की आंखों में चमक और दिल में खुशियों का समंदर था।

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Triund Trek 2025 रात का कैम्प – तारे और बातें


हमारे स्लीपिंग बैग और टेंट लगाकर रात बिताई। खाना सिंपल था, लेकिन ठंडी हवा में गरम दाल-चावल का स्वाद कहीं और नहीं मिलने वाला। triund trek 2025 के दौरान रात को आसमान पर लाखों तारे चमक रहे थे। Bonefire के चारों ओर बैठकर गाने गाए, कहानियाँ सुनाईं, और कैमरों में उन पलों को कैद किया। वो रात जिंदगी भर याद रहेगी।

अगली सुबह सूरज की पहली किरणें बर्फीली चोटियों पर पड़ रही थीं, सुनहरे रंग में चमक रही थीं। हम चाय पीते हुए चुपचाप नज़ारे को निहार रहे थे, मन में थोड़ी उदासी थी कि अब वापसी करनी है। नीचे उतरना आसान था, लेकिन पैरों और घुटनों पर दबाव था। रास्ते में हिमाचली चाय और छोले-भटूरे ने फिर से ऊर्जा दी। रास्ते में आते समय हमें बौद्ध लामा का एक ग्रुप भी मिला। 


अंतिम विचार – ट्रेक से मिली ज़िंदगी की सीख


इस Triund Trek 2025 ट्रिप ने हमें यह सीखा :
• पर्वत और प्रकृति की कद्र करनी चाहिए, क्योंकि ये हमें जीवन की सच्चाई और असीम शक्ति दिखाती हैं।
• प्रत्येक कदम सोच-समझ कर उठाना जरूरी है, क्योंकि प्राकृतिक रास्ते में खतरे छिपे रहते हैं।
• टीमवर्क और एक-दूसरे की मदद से मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
• जंगली जानवरों से दूरी बनाए रखना हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी है।


“Triund trek 2025 सिर्फ एक ट्रिप नहीं, यह एक अनुभव है जो हर युवा को जीवन में करना चाहिए। यह आपके धैर्य, साहस, और प्रकृति के प्रति सम्मान की परीक्षा लेता है। मैं भी जब इस कहानी को लिख रहा हूँ, तो मन में वही बर्फीली चोटियां, ठंडी हवा, और Bonefire का गर्माहट फिर से महसूस हो रही है।”

अगर आप पैराग्लाइडिंग के शौकीन हैं तो पास में बीर (Bir Billing) भी जा सकते हैं जो कि  Dharamshala  से सिर्फ 60 km दूर है। 

FAQ about Triund Trek :


Triund trek कितना safe है ? triund trek 2025 में –


जुलाई -अगस्त के महीने में अक्सर बारिश होती है जिससे फिसलन की संभावना बढ़ जाती है।  Triund in August , Triund in september के महीने में जब बारिश ज्यादा हो तो ट्रैकिंग करने से बचना चाहिए। Cloud Burst in Triund – वैसे त्रिउंड ट्रेक (triund trek 2025 ) पर बादल फटने की ज्यादा संभावना नहीं है , फिर भी हमें प्रकृति के अनुरूप ही चलना चाहिए और इस ख़ूबसूरत त्रिउंड ट्रेक (beautiful triund trek dharamshala) पर गन्दगी नहीं फैलानी चाहिए। Triund trekking in October-Triund trekking in November में सबसे अच्छा मौसम है।  अगर आपको बर्फ के रस्ते में ट्रैकिंग करनी है तो पहले स्नोफॉल (first snowfall in triund) में triund trekking in decmeber january में ट्रिप प्लान कर सकते हैं।   

 Triund Trek Difficulty क्या है ?

Generally considered easy to moderate, Triund trek is suitable for beginners and experienced trekkers. ट्रेक की कठिनाई: आम तौर पर आसान से मध्यम माना जाता है, शुरुआती और अनुभवी ट्रेकर्स दोनों के लिए उपयुक्त है। 


Triund Trek kaha par hai ? Where is Triund Trek ?
त्रिउंड हिमाचल का फेमस ट्रेक है। यह धर्मशाला में है। 

How to reach Triund ? Triund kaise Jayein?

New Delhi & Chandigarh से मैक्लॉडगंज पहुँचने का सबसे अच्छा तरीका रात भर चलने वाली volvo बस है। धर्मशाला जाने वाली बसें आपको मैक्लॉडगंज के मुख्य चौराहे पर उतार देंगी।

Is there any oxygen problem in Triund trek? 
क्या त्रिउंड ट्रैकिंग में ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है ?

नहीं , यह हिमाचल का सबसे safe trek में से एक माना जाता है।